दशहरा या विजयादशमी क्यों मनाया जाता है इस का महत्व एवम शायरी

दशहरा क्यों मनाया जाता है? (dussehra kyu manate hai in hindi) – Why is Dussehra celebrated?

ये तो आप जानते ही हो दशहरा या विजया दशमी नवरात्रि के बाद दसवें दिन मनाया जाता है। दशहरा या विजया दशमी हम क्यों मनाते है इसके पीछे कई कहानियाँ हैं, जिनमे सबसे प्रचलित कथा हैं इस दिन राम ने रावण का वध किया था। मतलब रावण की बुराई का विनाश कर उसके घमंड को तोड़ना और रावण को हराना और रावण के कब्जे से माता सीता को छुड़वाना।
राम ने अपनी सीता को वापस लाने के लिए रावण से युद्ध किया, जिसमे वानर सेना एवम हनुमान जी ने राम का साथ दिया. इस युद्ध में रावण के छोटे भाई विभीषण ने भी भगवान राम का साथ दिया और अन्त में भगवान राम ने रावण को मार कर उसके घमंड का नाश किया और इसी उपलक्ष में प्रति वर्ष विजियादशमी मनाई जाती हैं।

असत्य पर सत्य की विजय – भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिए इस दशमी को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। दशहरा वर्ष की तीन अत्यंत शुभ तिथियों में से एक है, अन्य दो हैं चैत्र शुक्ल की एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा। इसी दिन लोग नया कार्य प्रारंभ करते हैं, इस दिन शस्त्र-पूजा, वाहन पूजा की जाती है।

प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी जैसे अवगुणों को छोड़ने की प्रेरणा हमें देता है।

भारत कृषि प्रधान देश है। जब किसान अपने खेत में सुनहरी फसल उगाकर अनाज रूपी संपत्ति घर लाता है तो उसके उल्लास और उमंग का ठिकाना हमें नहीं रहता। इस प्रसन्नता के अवसर पर वह भगवान की कृपा को मानता है और उसे प्रकट करने के लिए वह उसका पूजन करता है। तो कुछ लोगों के मत के अनुसार यह रण यात्रा का द्योतक है, क्योंकि दशहरा के समय वर्षा समाप्त हो जाते हैं, नदियों की बाढ़ थम जाती है, धान आदि सहेज कर में रखे जाने वाले हो जाते हैं।

इस उत्सव का संबंध नवरात्रि से भी है क्योंकि नवरात्रि के उपरांत ही यह उत्सव होता है और इसमें महिषासुर के विरोध में देवी के साहसपूर्ण कार्यों का भी उल्लेख मिलता है। दशहरा या विजया दशमी नवरात्रि के बाद दसवें दिन मनाया जाता है। इस दिन राम ने रावण का वध किया था।

रावण कौन था? – Who was Ravan?


रावण चतुर्वेदो का ज्ञाता १० सर वाला लंका का महाबलशाली राजा था, जिसकी सोने की लंका थी, लेकिन उसमे अपार अहंकार था. वो महान शिव भक्त था और खुद को भगवान विष्णु का दुश्मन बताता था. वास्तव में रावण के पिता विशर्वा एक ब्राह्मण थे एवं माता राक्षस कुल की थी, इसलिए रावण में एक ब्राह्मण के समान ज्ञान था एवम एक राक्षस के समान शक्ति और इन्ही दो बातों का रावण में अहंकार था. जिसे ख़त्म करने के लिए भगवान विष्णु ने रामावतार लिया था।

दशहरा या विजयदशमी त्योहार का महत्व – Importance of Dussehra or Vijayadashami festival

दशहरे के इस पर्व को विजयादशमी भी कहा जाता है, दशहरा या विजयदशमी का त्योहार हिंदुस्तान में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भारतीय संस्कृति के वीरता का पूजक, शौर्य का उपासक है। इसे जश्न का त्यौहार भी कहते हैं ये बुराई पर अच्छाई की जीत का ही प्रतीक हैं। आश्विन शुक्ल दशमी को मनाया जाने वाला दशहरा यानी आयुध-पूजा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया है।

इसे जश्न का त्यौहार कहते हैं. आज के वक्त में यह बुराई पर अच्छाई की जीत का ही प्रतीक हैं. बुराई किसी भी रूप में हो सकती हैं जैसे क्रोध, असत्य, बैर,इर्षा, दुःख, आलस्य आदि. किसी भी आतंरिक बुराई को ख़त्म करना भी एक आत्म विजय हैं और हमें प्रति वर्ष अपने में से इस तरह की बुराई को खत्म कर विजय दशमी के दिन इसका जश्न मनाना चाहिये, जिससे एक दिन हम अपनी सभी इन्द्रियों पर राज कर सके.

दशहरा में लगने वाले मैला – Dussehra Festival, Mela, Fair:

दशहरा या विजयदशमी बहुत सी जगहों पर मैला लगता है, जिसमे कई दुकाने एवम खाने पीने के आयोजन होते हैं, उन्ही आयोजनों में नाट्य नाटिका, रामलीला का प्रस्तुतिकरण किया जाता हैं।

बहुत जगहे इस दिन घरों में लोग अपने वाहनों को साफ़ करके उसका पूजन करते हैं। व्यापारी अपने लेखा का पूजन करते हैं, किसान अपने जानवरों एवम फसलो का पूजन करता हैं. इंजिनियर अपने औजारों एवम अपनी मशीनों का पूजन करते हैं।

इस दिन परिवार के सभी लोग दशहरे मैदान पर जाते हैं, वहाँ रावण, कुम्भकरण एवम रावण पुत्र मेघनाथ के पुतले का दहन करते है. सभी शहर वासियों के साथ इस पौराणिक जीत का जश्न मनाते हैं. मैले का आनंद लेते हैं. उसके बाद शमी पत्र जिसे सोना चांदी कहा जाता हैं उसे अपने घर लाते हैं. घर में आने के बाद द्वार पर घर की स्त्रियाँ, तिलक लगाकर आरती उतारकर स्वागत करती हैं. माना जाता हैं कि मनुष्य अपनी बुराई का दहन करके घर लौटा है, इसलिए उसका स्वागत किया जाता हैं. इसके बाद वो व्यक्ति शमी पत्र देकर अपने से बड़ो के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेता हैं. इस प्रकार घर के सभी लोग आस पड़ोस एवम रिश्तेदारों के घर जाकर शमी पत्र देते हैं एवम बड़ो से आशीर्वाद लेते हैं, छोटो को प्यार देते हैं एवम बराबरी वालो से गले मिलकर खुशियाँ बाटते हैं।

दशहरा या विजयदशमी शुभकामना संदेश – Dussehra Wishes SMS Messages Greetings Quotes in Hindi:

दशहरा या विजयदशमी के उपलक्ष में आपके लिए लाएं हैं कुछ ऐसे ख़ास शुभकामना संदेश जिन्हें आप इस पवन पर्व की बधाइयां देने के लिए अपने करीबी दोस्तों और रिश्तेदारों को भेज सकते हैं।

राम नाम का जाप करे ये अहंकार विनाशी हैं,
जिसने रावण का नाश किया वही अयोध्या वासी हैं।।
विजयदशमी की शुभकामनाएं!

बुराई पर अच्छाई की जीत झूठ पर सच्चाई की जीत,
अहम् ना करो गुणों पर यही हैं इस दिवस की सीख।।
विजयदशमी की शुभकामनाएं!

बुराई का होता है विनाश,
दशहरा लाता है उम्मीद की आस,
रावण की तरह आपके दुखों का होगा नाश,
इस पावन पर्व पर यह है हमारी आस।
विजयदशमी की शुभकामनाएं!

दशहरे का यह पावन त्यौहार,
घर में लाये आपके खुशियां अपार,
श्री राम जी करें आप पर खुशियों की बौछार,
ऐसी शुभ कामनायें हमारी करो स्वीकार।
दशहरे की हार्दिक बधाई

समाज की बुराई को अब मिटाना होगा,
इंसानी रावण का दहन करने.
फिर श्री राम को आना होगा.
हैप्पी दशहरा.

हो आपकी जिंदगी में खुशियों का मेला
कभी ना आए कोई झमेला
सदा सुखी रहे आपका बसेरा..
मुबारक हो आपको यह शुभ दशहरा!

विजया दशमी का शुभ अवसर,
आपके और आपके परिवार के जीवन में सुख,
समृद्धि और शांति भर दे,
हैप्पी दशहरा !!

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