अनसूया साराभाई भारत में महिला मजदूर आन्दोलन की प्रणेता थी | अनसूया ने 1920 में टेक्सटाइल के क्षेत्र में भारत के सबसे पुराने मजदूर संघठन मजदूर महाजन संघ की स्थापना की | उनकी याद में गूगल ने 11 नवम्बर 2017 को गूगल डूडल भी बनाया है | आइये उनकी जिन्दगी के बारे में आपको विस्तार से बताते है
प्रारम्भिक जीवन एवं शिक्षा
अनसूया का जन्म 11 नवम्बर 1885 को एक अमीर साराभाई परिवार में हुआ था | जब वो केवल 9 वर्ष की थी तभी उनके माता-पिता का देहांत हो गया | इसके बाद उनके भाई अम्बालाल साराभाई और उनकी छोटी बहन के साथ अनुसूया को उनके चाचा के पास रहने को भेज दिया गया | केवल 13 वर्ष की उम्र में उनका विवाह हो गया लेकिन ये विवाह सफल नही रहा और वो वापस अपने परिवार में आ गयी | इसके बाद वो अपने भाई की मदद से 1912 में मेडिकल डिग्री लेने के लिए इंग्लैंड चली गयी लेकिन बाद में उनका विचार बदल गया क्योंकि वहा जाकर उन्हें पता चला कि मेडिकल डिग्री में जीव-जन्तुओ को काटना पड़ता है जो उनकी जैन मान्यताओ के विपरीत था | इंग्लैंड में रहते हुए वो फेबियन सोसाइटी से प्रभावित हुयी और Suffragette movement में शामिल हुयी |
अनसूया का राजनीतिक जीवन
1913 में अनुसूया वापस इंग्लैंड से लौट आयी और महिलाओं की बेहतरी और गरीबो की सेवा के काम में लग गयी | इसलिए उन्होंने एक स्कूल भी खोला | इसके बाद उन्होंने मजदूर आन्दोलन में हिस्सा लेने का निश्चय किया जब उन्होंने देखा कि मिल में काम करने वाली महिलाये 36 घंटो की शिफ्ट के बाद घर लौट रही थी | उन्होंने महिलाओ से इस बारे में बात की तो उन्होंने अपना दर्द मोटाबेन को सुनाया | तब उन्होंने निश्चय किया कि इस स्थिति को जल्द ही बदलने की आवश्यकता है |
1914 में अहमदाबाद में प्लेग का हमला हो गया और मजदूरों का आक्रोश बढ़ता जा रहा था | अच्छा वेतन और सुविधाए उनकी वाजिब मांगे थी मोटाबेन साराभाई इस आन्दोलन में कूद पड़ी और 1914 में उन्होंने टेक्सटाइल मजदूरों की सहायता से अहमदाबाद में हड़ताल शुरू कर ली | 21 दिनों तक हडताल चलती थी और अन्तं में मिल मालिको को झुकना पड़ा | इसके तुंरत बाद खेड़ा सत्याग्रह हुआ था जिसमे भी 21 दिन की ओर हड़ताल चली |
गांधीजी के आश्रम में उन्होंने निस्वार्थ सेवा करते हुए इंटे और रेत उठाने का काम भी किया था | 1918 में तो उन्होंने एक महीने लम्बी हड़ताल की थी जब बुनकरों को केवल 20 प्रतिशत मजदूरी ही दी जा रही थी जबकि 50 प्रतिशत मजदूरी दी जानी थी | गांधीजी साराभाई के प्रेरणा स्त्रोत थे | गांधीजी ने मजदूरों की तरफ से भूख हड़ताल शुरू कर दी जिसकी वजह से मजदूरों को 35 प्रतिशत भुगतान दिया जाने लगा | इसके बाद 1920 में अनुसूया ने मजदूर महाजन संघ की स्थापना की |
अंतिम दिन एवं मृत्यु
अनुसूया साराभाई (Anasuya Sarabhai) को गुजराती भाषा में मोटाबेन कहकर पुकारते थे जिसका अर्थ था बड़ी बहन | 1972 में अनुसूया साराभाई का देहांत हो गया | अनुसूया साराभाई (Anasuya Sarabhai) के 132 वे जन्मदिवस पर गूगल डूडल बनाकर उनको श्रुधांजलि दी है | गुजरात के संग्रहालय में आज भी उनके दुर्लभ चित्र मौजूद है जो उनकी करीबी सहयोगी एला भट्ट ने बनवाया है जो आज भी उनके पदचिन्हों पर चलते हुए मजदूरों के हक के लिए काम कर रही है और Self-Employed Women’s Association of India (SEWA) की संस्थापक है |