रणकपुर जैन मंदिर के बारे में – About Ranakpur Jain Temple
रणकपुर जैन मंदिर राजस्थान में स्थित जैन धर्म के पांच प्रमुख स्थलों में से एक है| यह स्थान उन प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्द है जो उत्तरी भारत के श्वेताम्बर जैन मंदिर में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं भारत के जैन मंदिरों में इसकी इमारत सबसे भव्य तथा विशाल है| जंगलों से घिरे होने के कारण इस मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है।
- रणकपुर जैन मंदिर
- रणकपुर जैन मंदिर कहाँ स्थित है?
- रणकपुर जैन मंदिर का इतिहास
- रणकपुर जैन मंदिर की वास्तुकला
- रनकपुर जैन मंदिर के बारे में तथ्य
रणकपुर जैन मंदिर कहाँ स्थित है? – Where is Situated Ranakpur Jain Temple
रणकपुर राजस्थान के देसूरी तहसील के निकट पाली ज़िले के सादडी में स्थित है। राजस्थान में अरावली पर्वत की घाटियों के मध्य चारों ओर जंगलों से घिरे रणकपुर में भगवान ऋषभदेव का चतुर्मुखी जैन मंदिर है| रणकपुर मंदिर माघी नदी के किनारे स्थित हैं।
रणकपुर जैन मंदिर का इतिहास – History of Ranakpur Jain Temple
रणकपुर में मन्दिर की प्रतिष्ठा विक्रम संवत 1496 (1439 ई.) में हुई थी। प्रधान मन्दिर वर्गाकार (220 फुट x 220 फुट) एवं चौमुखा है। इसका विस्तार 48, 400 वर्ग फुट ज़मीन पर किया गया है। सम्पूर्ण मन्दिर में सोनाणा, सेदाड़ी और मकराना के पत्थर का प्रयोग किया गया है। इस मन्दिर को बनाने में 99 लाख रुपया व्यय किया गया था।
इन मन्दिरों का निर्माण धन्ना नामक सेठ ने किया था, उसे ‘धरणाक सेठ’ भी कहते हैं। इस सेठ ने महाराणा कुम्भा से इन मन्दिरों के लिए भूमि ख़रीदी थी। यहाँ स्थित प्रमुख मन्दिर को ‘रणकपुर का चौमुखा मन्दिर’ कहते हैं। इस मन्दिर के चारों ओर द्वार हैं। मन्दिर में प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ की मूर्ति स्थापित है। इस मन्दिर के अलावा दो और जैन मन्दिर हैं, जिनमें पार्श्वनाथ और नेमिनाथ की मूर्तियाँ प्रतिष्ठित हैं। एक वैष्णव मन्दिर सूर्यनारायण का भी है। एक धार्मिक मन्दिर चौमुखा त्रलोक्य दीपक है, जिसमें राजस्थान की जैन कला और धार्मिक परम्परा का अपूर्व प्रदर्शन हुआ है।
रणकपुर जैन मंदिर की वास्तुकला -Architecture of Ranakpur Jain Temple
रणकपुर मंदिर की संरचना बहुत ही अद्भुत है जिसमे चौमुखा मंदिर, अंबा माता मंदिर, पार्श्वनाथ मंदिर और सूर्य मंदिर आदि शामिल हैं। इस मंदिर में 29 हॉल, 1444 खंभे और 80 गुंबद बने हुए हैं। खंभों की खास विशेषता यह है कि ये सभी अनोखे हैं। खंभों की नक्काशियाँ एक को दूसरे से अलग करती हैं।एक वैष्णव मंदिर सूर्य नारायण का भी है| एक धार्मिक मंदिर चौमुखा त्रलोक्य दीपक है, जिनमें राजस्थान की जैन कला और धार्मिक परंपरा का अपूर्व प्रदर्शन हुआ है|
मंदिर परिसर में 76 छोटे गुंबदनुमा पवित्र स्थान, 4 बड़े कक्षा और 4 बड़े पूजा स्थल है, मान्यता है कि यह मनुष्य को जीवन मृत्यु की 84 योनियों से मुक्ति पाने के लिए प्रेरित करते हैं| मंदिर के अन्दर नृत्य करती हुई अप्सराओं की नक्काशी देखने लायक होती हैं। इसके अलावा हड़ताली मंदिर में चार अलग-अलग प्रवेश द्वार देखने को मिलेंगे जो कि मंदिर में चारो दिशा से आने की अनुमति देते हैं और केंद्रीय कक्ष की ओर जाते हैं जहां भक्त गर्भगृह में भगवान आदिनाथ की चार मुखी वाली आकर्षित संगमरमर की मूर्ति के दर्शन का लाभ उठा सकते है।
रनकपुर जैन मंदिर के बारे में तथ्य – Facts About Ranakpur Jain Temple
- मंदिर को विमना की तर्ज पर बनाया गया था, जिसका अर्थ है उड़ता हुआ रथ|
- इस मंदिर में 1444 खंभे हैं। विशाल संरचना का पूरा वजन 1,444 स्तंभों पर है।
- इस जैन मंदिर का एक और दिलचस्प रहस्य यह है कि स्तंभों का रंग दिन के माध्यम से बदलता है।
- मंदिर के कुछ भक्त वहाँ एक हाथी के पेट के नीचे रेंग रहे थे।
- रणकपुर जैन मंदिर जैनियों के शीर्ष 5 पवित्र मंदिरों की सूची में है।
- मूल सुंदरता और भव्यता केवल 200 वर्षों तक चली। मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा इसे लूटा गया और उजाड़ा गया। एक मंदिर की शानदार कृति जल्द ही गुमनामी में बदल गई।