एक कदम प्रकृति की ओर – A step towards nature

एक कदम प्रकृति की ओर

मैं अगर प्रकृति की बात करू तो “प्रकृति एक प्रेरणा” है। और प्रकृति की परिभाषा सबके अपने – अपने वीचारु पर निर्भर करता है प्रकृति सदियों से ही एक प्रेरणा साबित हुई है मनुष्य के आध्यात्मिक, दुनिया जीवन के लिए। आप क्या सोचते हैं, निचे कमेंट करके बता सकते हो।

र्यावरण के साथ हमारा संबंध हमारे अनुभव की सर्वप्रथम और सब से महत्वपूर्ण परत है। अगर हमारा पर्यावरण स्वच्छ और सकरात्मक है तो हमारे अनुभव की बाकी सभी परतों पर इसका सकरात्मक प्रभाव पड़ता है, और वे संतुलित हो जाती हैं और हम अपने और अपने जीवन में आये व्यक्तियों के साथ अधिक शांति और जुड़ाव महसूस करते हैं।

लेकिन निचे में कुछ आप को उद्धारहण दे रहा हु जिस से आप को प्रकृति का महत्व समज में आएगा।

सोनाली बेंद्रे – कैंसर
अजय देवगन – लिट्राल अपिकोंडिलितिस
(कंधे की गंभीर बीमारी)
इरफान खान – कैंसर
मनीषा कोइराला – कैंसर
युवराज सिंह – कैंसर
सैफ अली खान – हृदय घात
रितिक रोशन – ब्रेन क्लोट
अनुराग बासु – खून का कैंसर
मुमताज – ब्रेस्ट कैंसर
शाहरुख खान – 8 सर्जरी
(घुटना, कोहनी, कंधा आदि)
ताहिरा कश्यप (आयुष्मान खुराना की पत्नी) – कैंसर
राकेश रोशन – गले का कैंसर
लीसा राय – कैंसर
राजेश खन्ना – कैंसर,
विनोद खन्ना – कैंसर
नरगिस – कैंसर
फिरोज खान – कैंसर
टोम अल्टर – कैंसर…

ये वो लोग हैं या थे।
जिनके पास पैसे की कोई कमी नहीं है/थी!
खाना हमेशा डाइटीशियन की सलाह से खाते है।
दूध भी ऐसी गाय या भैंस का पीते हैं
जो AC में रहती है और बिसलेरी का पानी पीती है।
जिम भी जाते है।
रेगुलर शरीर के सारे टेस्ट करवाते है।
सबके पास अपने हाई क्वालिफाइड डॉक्टर है।
अब सवाल उठता है कि आखिर
अपने शरीर की इतनी देखभाल के बावजूद भी इन्हें इतनी गंभीर बीमारी अचानक कैसे हो गई।

क्योंकि ये प्राक्रतिक चीजों का इस्तेमाल
बहुत कम करते है।
या मान लो बिल्कुल भी नहीं करते।
जैसा हमें प्रकृति ने दिया है ,
उसे उसी रूप में ग्रहण करो वो कभी नुकसान नहीं देगा।
कितनी भी फ्रूटी पी लो ,
वो शरीर को आम के गुण नहीं दे सकती।
अगर हम इस धरती को प्रदूषित ना करते
तो धरती से निकला पानी बोतल बन्द पानी से
लाख गुण अच्छा था।

आप एक बच्चे को जन्म से ऐसे स्थान पर रखिए
जहां एक भी कीटाणु ना हो।
बड़ा होने से बाद उसे सामान्य जगह पर रहने के लिए छोड़ दो,
वो बच्चा एक सामान्य सा बुखार भी नहीं झेल पाएगा!
क्योंकि उसके शरीर का तंत्रिका तंत्र कीटाणुओ से लड़ने के लिए विकसित ही नही हो पाया।
कंपनियों ने लोगो को इतना डरा रखा है,
मानो एक दिन साबुन से नहीं नहाओगे तो तुम्हे कीटाणु घेर लेंगे और शाम तक पक्का मर जाओगे।
समझ नहीं आता हम कहां जी रहे है।
एक दूसरे से हाथ मिलाने के बाद लोग
सेनिटाइजर लगाते हुए देखते हैं हम।

इंसान सोच रहा है- पैसों के दम पर हम जिंदगी जियेंगे।
आपने कभी गौर किया है–
पिज़्ज़ा बर्गर वाले शहर के लोगों की
एक बुखार में धरती घूमने लगती है।
और वहीं दूध दही छाछ के शौकीन
गांव के बुजुर्ग लोगों का वही बुखार बिना दवाई के ठीक हो जाता है।
क्योंकि उनकी डॉक्टर प्रकृति है।
क्योंकि वे पहले से ही सादा खाना खाते आए है।
प्राकृतिक चीजों को अपनाओ!
विज्ञान के द्वारा लैब में तैयार
हर एक वस्तु शरीर के लिए नुकसानदायक है!

आज के जगत में ऐसे कई व्यक्ति हैं जो कि लालचवश, जल्द मुनाफ़ा और जल्द नतीजे प्राप्त करना चाहते हैं। उनके कृत्य जगत के पर्यावरण को नुक्सान पँहुचाते हैं। केवल बाहरी पर्यावरण ही नहीं, वे सूक्ष्म रूप से अपने भीतर और अपने आस पास के लोगों में नकरात्मक भावनाओं का प्रदूषण भी फैलाते हैं। ये नकरात्मक भावनायें फैलते फैलते जगत में हिंसा और दुख का कारण बनती हैं।

पैसे से कभी भी स्वास्थ्य और खुशियां नहीं मिलती।।

आइए फ़िर से_ चलें
प्रकृति की ओर…

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