ये बात है 9th क्लास की बोले तो हमारे 9th क्लास की और बात यह ह की 9th में हमने विज्ञान की कॉपी नहीं बनायी थी पूरा दिन तो खेल कूद में ही निकला जाता और उपर से न्य न्य स्कूल था 8th पास करके दुसरे गाँव जाते थे पडने और कॉपी चेक कराने का भयंकर प्रेशर था, मैडम भी बड़ी सख्त थीं पता चलता उनको, तो उल्टा ही टांग देतीं, मैडम तो मैडम बाकी के टीचर भी कम न थे एक से एक मानो तो एक की क्लास में गलती करने पे बारी बारी सब मारते थे पूरे 9 chapter हो चुके थे। दूसरे लड़के 40-40 पेज रजिस्टर के भर चुके थे और हमारे पास जो भी था एक रफ़ कॉपी में ही था! सरे सब्जेक्ट्स का होमवर्क उसी में था भाई.
दो रात तो एक मिनट भी नींद नहीं आयी, ऊपर से पिता श्री को पता चलने का डर… चेकिंग का दिन आया, मैडम ने चेकिंग शुरू की….! 21 रोल नंबर वालों तक की कॉपी चेक हुई और घंटी बज गई, हमने राहत की सांस ली…! तभी मैडम ने जल्दी-जल्दी कहा कि सभी बच्चे कॉपी जमा कर दो ; मैं चेक करके भिजवा दूंगी…!
तभी हमारा शातिर दिमाग घूमा और हम भीड़ में कॉपियों तक गए, और जैसे बीजगणित में मन लेते हैं न ! , ठीक वैसे ही हमने मान लिया कि कॉपी हमने जमा कर दी, अब कॉपी का टेंशन मैडम का ना की अपना अपन ने तो अपना दिमाग लगा दिया वो कहते हिया न (उखली में सर दाल दिया अब मुस्ली से क्या डरना) अब आगे जो होगा देखा जाएगा!
तीन दिन के बाद सबकी कॉपी आयीं, पर हमारी नहीं आयी, भला आती भी कैसे हमने कोनसी जमा करवाई थी जो आएगी!
अब हम गए मैडम के पास अपना मासूम सा लटका हुआ थोबड़ा लेकर और बोले कि मैडम हमारी कॉपी नहीं आयी, मैडम बोलीं , कि मैं चेक कर लूंगी सायेद स्टाफरूम में होगी ।
अब तो हमे अगले दिन का बेचैनी से इन्तजार था और अगले दिन हम फिर पहुंच गए कि मैडम हमारी कॉपी !
मैडम बोलीं कि स्टाफरूम में तो है नहीं , मेरे घर पर गयी होगी ; कल देती हूँ, हमने कहा ठीक है !
अगले दिन हम फिर पहुंच गए कि मैडम हमारी कॉपी! मैडम बोलीं, कि बेटा मैंने घर देखी थी, आपकी कॉपी मिल गयी है.. आज मैं लाना भूल गयी, कल देती हूँ !
मैंने कहा वाह ससुरा कमाल हो गया, हमारे बिना दिए ही कॉपी मैडम के घर पहुँच गयी साला समज नही आ रहा था करे तो क्या कॉपी आई तो आई खा से आसमान से गिरी है या जमीन से उगी है खेर हमने सोचा छोड़ा अपन को कई की टेंसन लेना अपणु को तो कॉपी से मतलब है वो मैडम के घर ओएर है जब मैडम ख रही ह तो. अब तो अगले दिन का इन्तजार ही नही हो रहा था.
अब जेसे तेसे अगला दिन भी आया और अगले दिन हम फिर पहुंच गए कि मैडम हमारी कॉपी, मैडम कॉपी ! मैडम याद भी करना है! एसा चेहरा बना के ख रहे थे जेसे हमने कॉपी नही जिन्दगी खो डी अपनी. मतलब खे तो बेस्ट एक्टिंग उसी टाइम कर रहा था में तो.
और यूँ हमने एक के बाद एक 5 दिन तक मैडम को परेशान किया, फिर मैडम ने हमको स्टाफरूम में बुलाया और ज्यों ही बोला कि, “देखो बेटा…आपकी कॉपी हमसे गलती से खो गयी है ! ”
हमने ऐसा मुरझाया मुँह बना लिया जैसे पता नहीं अब क्या होगा और कहा “मैडम अब क्या होगा ! हम इतना दुबारा कैसे लिखेंगे, याद कैसे करेंगे….एग्जाम कैसे देंगे, इतना सारा हम फिर से कैसे लिखेंगे” वगैरह वगैरह जो मन में आया सब का सब झोंक दिया
मैडम ने ज्यों ही कहा “बेटा तुम चिंता न करो, दसवें चैप्टर से कॉपी बनाओ और बाकी दोबारा मत लिखना, वो हम बंदोबस्त कर देंगे” समझ लो ऐसे लगा जैसे भरी गर्मी में कलेजे पर बर्फ रगड़ दी हो किसी ने !
मानो 50 किलो का बोझा सिर से उतर गया हो, मैडम के सामने तो खुशी जाहिर नहीं कर सकते थे , लेकिन मैडम के जाते ही तीन बार घूँसा हवा में मारकर “Yes… Yes…Yes” बोलकर अपन सिर के बालों को झटके मारते हुए आगे बढ़ लिए !
अगले दिन मैडम उन 9 चैप्टर की 40 पेज की फोटोस्टेट लेकर आयीं और हमें दी कि ये लो बेटा, कुछ समझ न आये तो कभी भी आकर समझ लेना
उसी दिन हमें अपनी असली शक्तियों का एहसास हुआ….
और हमने तय किया कि हम इंजीनियरिंग में अपना भविष्य बनाएंगे
नोट: आप एसा न करे और करे तो अपने रिस्क पैर करे, कल को मार पड़े तो हमे गाली न डे, जनहित में जारी!